शुभारंभ - 19.06.1984
कर्मयोगी माधवराव सप्रे
भारतीय नवजागरण आंदोलन के कृती-व्रती महानायक माधवराव सप्रे को समग्रता में जनना-समझना हो तो उनके महत् कृतित्व का निकष यूँ होगा : सप्रे जी हिन्दी नवजागरण के पुरोधा थे। सप्रेजी ने ‘भारत की एक राष्ट्रीयता’ का शंखनाद किया। सप्रेजी ने अर्थशास्त्र की हिन्दी शब्दावली तैयार की। सप्रेजी ने हिन्दी पत्रकारिता को संस्कारित किया। सप्रेजी ने हिन्दी समालोचना शास्त्र का विकास किया। सप्रेजी ने हिन्दी निबंध विधा का मानक रचा। सप्रेजी ने शिक्षा के गुण-धर्म की व्याख्या की और मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा की महत्ता का प्रतिपादन किया। सप्रेजी ने राष्ट्रीय कार्यों के निमित्त युवा प्रतिभाओं का परिष्कार किया। सप्रेजी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन के देहरादून अधिवेशन (1924) के अध्यक्षीय आसन से हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने का उद्घोष किया।
ज्ञानतीर्थ सप्रे संग्रहालय में उपलब्ध सामग्री
समाचार पत्र एवं पत्रिकाएँ
26436
पुस्तकें
166222
पांडुलिपियाँ एवं अन्य
33339
हमारे प्रकाशन - पुस्तकें
हमारे प्रकाशन - पत्रिका
ज्ञानतीर्थ सप्रे संग्रहालय में विद्वज्जन
विजयदत्त श्रीधर
(10 अक्टूबर 1948 को ग्राम बोहानी, जिला-नरसिंहपुर, मध्यप्रदेश में जन्म)
माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान, भोपाल की स्थापना, पत्रकारिता विषयक शोध एवं इतिहास प्रलेखन के प्रामाणिक प्रयत्नों तथा सामाजिक सरोकारों की पत्रकारिता के लिए विजयदत्त श्रीधर को वर्ष 2012 में भारत सरकार ने ‘पद्मश्री’ अलंकरण से सम्मानित किया।
‘भारतीय पत्रकारिता कोश’ आपकी महत्वपूर्ण कृति है जिसमें सन 1780 से सन 1947 तक की भारत की सभी भाषाओं और तत्कालीन भारत के पूरे भूगोल का शोधपरक इतिहास विवेचित है। आपकी पुस्तक ‘पहला संपादकीय’ को भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ‘भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार’ (वर्ष 2011) से सम्मानित किया है। ‘शिक्षा एवं शोध में असाधारण अवदान के लिए स्वराज संचालनालय, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन के ‘महर्षि वेद व्यास राष्ट्रीय सम्मान’ (वर्ष 2012-2013) से सम्मानित किया गया। छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘माधवराव सप्रे राष्ट्रीय रचनात्मकता सम्मान’ (2015) से सम्मानित किया है।
‘माधवराव सप्रे रचना संचयन’ (साहित्य अकादेमी), ‘समकालीन हिन्दी पत्रकारिता’, ‘एक भारतीय आत्मा’, ‘कर्मवीर के सौ साल’, ‘विश्ववंद्य गांधी’ आपकी संपादित पुस्तकें हैं। ‘चौथा पड़ाव’ में भोपाल की एक हजार बरस की कथा दर्ज है। ‘मिण्टो हाल’ मध्यप्रदेश (1956-2020) की राजनीतिक हलचलों का दस्तावेज है।
‘विजयदत्त श्रीधर : एक शिनाख्त’ प्रो. कृपाशंकर चौबे द्वारा संपादित पुस्तक में आपके पाँच दशक के कृतित्व का प्रामाणिक वृत्तांत सँजोया गया है।
विजयदत्त श्रीधर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में शोध निदेशक (2005-2010) रहे हैं। सितंबर 1981 से पत्रकारिता, जनसंचार और विज्ञान संचार की शोध पत्रिका ‘आंचलिक पत्रकार’ का संपादन कर रहे हैं।
संस्थापक-निदेशक
सप्रे संग्रहालय, भोपाल
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