About Madhavrao Sapre

If we want to know and understand Madhavrao Sapre, the great leader of the Indian Renaissance movement, then the criteria of his great work would be like this: Sapre ji was the pioneer of Hindi Renaissance. Sapreji trumpeted the call of ‘one nationalism of India’. Sapreji prepared the Hindi terminology of economics. Sapreji standardized Hindi journalism. Sapreji developed Hindi criticism. Sapreji created the standard of Hindi essay genre. Sapreji explained the virtues of education and propounded the importance of education through the mother tongue. Sapreji nurtured young talents for nation’s service. Sapreji announced to make Hindi the national language from the presidential chair of the Dehradun session of the Hindi Sahitya Sammelan (1924).

Available Newspaper/ Magazine
26436

Available Book
166222

Available Manuscripts
- 33339

Our Publication - Books

Our Publication - Magazine

Our Visitors

डॉ. शंकरदयाल शर्मा

राष्ट्रपति

श्री भैरोसिंह शेखावत

उपराष्ट्रपति

श्री अर्जुन सिंह

मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल

परिचय

विजयदत्त श्रीधर
(10 अक्टूबर 1948 को ग्राम बोहानी, जिला-नरसिंहपुर, मध्यप्रदेश में जन्म)

माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान, भोपाल की स्थापना, पत्रकारिता विषयक शोध एवं इतिहास प्रलेखन के प्रामाणिक प्रयत्नों तथा सामाजिक सरोकारों की पत्रकारिता के लिए विजयदत्त श्रीधर को वर्ष 2012 में भारत सरकार ने ‘पद्मश्री’ अलंकरण से सम्मानित किया।
‘भारतीय पत्रकारिता कोश’ आपकी महत्वपूर्ण कृति है जिसमें सन 1780 से सन 1947 तक की भारत की सभी भाषाओं और तत्कालीन भारत के पूरे भूगोल का शोधपरक इतिहास विवेचित है। आपकी पुस्तक ‘पहला संपादकीय’ को भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ‘भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार’ (वर्ष 2011) से सम्मानित किया है। ‘शिक्षा एवं शोध में असाधारण अवदान के लिए स्वराज संचालनालय, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन के ‘महर्षि वेद व्यास राष्ट्रीय सम्मान’ (वर्ष 2012-2013) से सम्मानित किया गया। छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘माधवराव सप्रे राष्ट्रीय रचनात्मकता सम्मान’ (2015) से सम्मानित किया है।
‘माधवराव सप्रे रचना संचयन’ (साहित्य अकादेमी), ‘समकालीन हिन्दी पत्रकारिता’, ‘एक भारतीय आत्मा’, ‘कर्मवीर के सौ साल’, ‘विश्ववंद्य गांधी’ आपकी संपादित पुस्तकें हैं। ‘चौथा पड़ाव’ में भोपाल की एक हजार बरस की कथा दर्ज है। ‘मिण्टो हाल’ मध्यप्रदेश (1956-2020) की राजनीतिक हलचलों का दस्तावेज है।
‘विजयदत्त श्रीधर : एक शिनाख्त’ प्रो. कृपाशंकर चौबे द्वारा संपादित पुस्तक में आपके पाँच दशक के कृतित्व का प्रामाणिक वृत्तांत सँजोया गया है।
विजयदत्त श्रीधर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में शोध निदेशक (2005-2010) रहे हैं। सितंबर 1981 से पत्रकारिता, जनसंचार और विज्ञान संचार की शोध पत्रिका ‘आंचलिक पत्रकार’ का संपादन कर रहे हैं।

संस्थापक-निदेशक
सप्रे संग्रहालय, भोपाल
Mobile : 7999460151
Email : sapresangrahalaya@yahoo.com, editor.anchalikpatrakar@gmail.com

Gyan Tirth Sapre Sangharalaya at a glance

Chief Minister Shri Arjun Singh inaugurated the Gyantirtha Sapre Sangrahalaya on June 19, 1984.
First Stage, Rani Kamalapati Mahal Burj

Second Stage: Acharya Narendradev Library Building

Third Stage: Apna Bhawan, Main Road No. 3

Our Heritage